Zafar Siddiqui

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क्या दिखाना है

"ग़ज़ल" 

क्या दिखाना है क्या छिपाना है,
जिंदगी इक महेज़ फसाना है!

 पूरे होते नहीं कोई अक्सर 
ख्वाब हम को मगर सजाना है!

आज़माया मुझे बहुत उस ने,
अब मुझे उस को आज़माना है!

चैन मुझ को जहां पे  मिलता है 
गोद में मां की वो ठिकाना है!

जो भी गुस्ताख़ हैं रिसालत के 
 धूल उन को ज़फर चटाना है 

(जफर सिद्दीकी)
(लखनऊ)

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6 Comments

Pallavi

19-Jun-2022 10:00 AM

Nice post 😊

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Seema Priyadarshini sahay

17-Jun-2022 04:01 PM

बेहतरीन👌👌

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Raziya bano

17-Jun-2022 05:27 AM

Bahut khub

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Zafar Siddiqui

17-Jun-2022 08:46 AM

बहुत बहुत सारा शुक्रिया

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